मेरी आवाज़
- 107 Posts
- 718 Comments
पुल के नीचे
सड़क के बाजु में
तीलो की झोंपड़ी के अंदर
खेलते………….
दो बूढ़े बच्चे
एक नग्न और
दूजा अर्ध-नग्न
दीन-दुनिया से बेख़बर
ललचाई नज़रों से
देखते………
फल वाले को
आने-जाने वाले को
हाथ फैलाते…..
कुछ भी पाने को
फल,कपड़े,जूठन,खाना
कुछ भी………
सरकारी नल उनका
गुस्लखाना
और रेलवे -लाइन…..पाखाना
चेहरे पर उनके केवल अभाव
सर्दी-गर्मी , दुःख-सुख का
उन पर
नहीँ कोई प्रभाव
अकेले हैं वो
बिल्कुल तन्हा
कुछ भी तो नहीँ
उनके अपने पास
नहीँ करते वे किसी से
हँस कर बात
और झोंपड़ी के
टूटे हुए कोने से
झाँकता सूर्य देवता
मानो दिला रहा हो
अहसास……..
कोई हो न हो
मैं तो हूँ
और हमेशा रहूँगा
तुम्हारे साथ
तब तक…………
जब तक……………….
हो तुम
तुम्हारा जीवन
यह झोंपड़ी
और ग़रीबी का नंगा नाच……..
**********************************
Read Comments