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पापा – क्षणिकाएं

मेरी आवाज़
मेरी आवाज़
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पापा
तुम्ही तो सिखाते थे मुझे
अपने पैरो से चलना
गुस्सा होते थे माँ से
मुझे कभी रसोईघर मे देखकर
मुझे कभी बेटी क्यो न समझा?


माँगती थी मै हर चीज
आपसे माँ से चोरी
लाते थे तुम न जाने
कितने खर्चे बचाकर
या फिर अपनी जरूरतो के साथ
समझौता करके
मुझे कभी रोका क्यो नही ?

३.
मेरी हर बात मे
हाँ मे हाँ मिला देते
माँ  समझाती पर
केवल माँ पर ही हँस देते
क्या मै कभी गलत न थी ?

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