Menu
blogid : 2242 postid : 38

जब तक रहेगा समोसे में आलू

मेरी आवाज़
मेरी आवाज़
  • 107 Posts
  • 718 Comments

रात को सोते हुए
अजीब सा  ख्याल कोंध  आया
और मैने …………….
मिनी  स्करट पहने हीर को रोते हुए  पाया

मैने  पूछा ! यह अश्रुजल   क्यों  है तुम्हारी आँखों में?
तुम तो एक हो लाखों में

तुम्हे प्यार
तो दुनिया भर का  मिला है

तुम  को तो प्यार की दुनिया में
अच्छा   है


अमर हो तुम दोनो सदा के
लिए
मरे इक्कठे , जिए इक्कठे जिए

अब तुमको कोई अलग नही कर सकता

फिर क्यों  रोती हो तुम ?
तुम्हारा प्यार  कभीनही मर सकता

हीर बोली! बहन तुम  सच्च
कहतीहो
पर मैं पूछती हूँ  तुमसे,
किस दुनिया मे रहती हो ?

मैने जब पूछा था रांझा  से…….

तुम्हे मुझसे प्यार    है  कितना?
गर्व से बोला था सर उठाकर ….
समोसे मे आलू  की उम्र  के  जितना

मैने कहा ! हाँ सुना तो है मैने भी
कुछ ऐसा ही गाना

पर मुझे आता नही गुन-गुनाना

उसका भी  भाव तो  कुछ ऐसा ही था

और उसमें भी आलू और समोसा ही था

हीर  झल्ला कर बोली………..

सुना  है   तो पूछती क्यों  हो?
दुखती  रग पर हाथ  रखती क्यों हो?

मेरी समझ मे कुछ ना आया

और फिर से हिम्मत कर मैने  हीर को बुलाया

इस बार हीर को गुस्सा आया

फिर भी उसने मेरी तरफ  सर घुमाया

मैने कहा ! आलू और समोसे का  गाने मे

केवल शब्दों का सुमेल बनाया
परन्तु मेरी  समझ में अभी तक यह नही आया
कि तुम्हारे नेत्रों  में अश्रुजल क्यों भर आया?

अब हीर लगी फूट–फूट कर रोने

और आँसू से अपने सुन्दर  मुख को धोने

अपने रोने का कारण
उसने कुछ यह बताया
बहन आज हमने  

हलवाई ने समोसा बिना आलू  के बनाया

और तब से रांझा मुझे नज़र नहीं आया

कदम की आहट से हमने सर  घुमाया

मॉडल के साथ ब्रांडेड जींस  पहने
रांझा को खड़ा पाया

अब मुझे भी थोड़ा गुस्सा आया

और रांझा को मैने भी कह सुनाया

प्रेमिका को रुलाते  हो,

तुम्हे शर्म नही आती
एक को छोड़  दूसरी को घुमाते  हो
यह बात तुम्हे नही भाती

कैसी शर्म ? रांझा बोला ………

मैं आदमी नही हूँ चालू
मैने  कहा था हीर से……..
मैं तब तक हूँ तेरा  ,
जब तक है समोसे  मे आलू


जब आलू  के बिना समोसा  बन सकता

तो मैं  हीर क्यू नही बदल सकता ?
यह समोसे की दिखाया
और मुझे अपनी नई हीर से मिलाया

इतने मे बाहर के शो ने मुझे जगाया

और सामने सच में
ऐसी हीरों और रांझो को पाया
—————————
————————–
—————————
—————————
पूछना है मुझे  ऐसे प्यार के  परिंदो से
कुछ ऐसे ही सामाजिक दरिंदों से
क्या यही रह गई  है भारत कि सभ्यता?
और क्या यही है   प्यार   कि  गाथा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh