Menu
blogid : 2242 postid : 50

पंगेबाज़ से पंगे की कीमत चुकाई हमने …..सावधान जागरणवासियों

मेरी आवाज़
मेरी आवाज़
  • 107 Posts
  • 718 Comments

पंगेबाज से पंगे की कीमत चुकाई हमने
सजा जागरण नें दी जब आवाज़ उठाई हमने
कचरे के डिब्बे में फैंका फीचर्ड था ब्लॉग
देख के मेरे तन मन अन्दर भड़क उठी है आग
एक आवाज़ उठाने पर हो क्यों इतना अपमान
पलकों पर बिठा कर फिर क्यों चीन लिया सम्मान
जो हमने न पंगे की आवाज़ उठाई होती
तो कोने में दुबक के यूं मेरी रचना न रोती 🙁

मेरी ऊपर लिखी व्यथा पढ़कर आपनें अंदाज़ लगा ही लिया होगा कि कबीर रहीम की रचनाओं के साथ पंगा …आखिर क्यों ? कल शाम को ही हमने पोस्ट किया था और देखते ही देखते फीचर्ड भी हो गया | आप सोच रहे होंगे फिर हमें रोना किस बात का आ रहा है , ऐसा क्या है कि हमारे तन मन में ज्वाला धधक रही है | तो आपको पूरा माजरा समझाती हूँ | हुआ ये कि —–कल दोपहर को हमने अपनी कहानी चुभन का छठा और अंतिम भाग पोस्ट किया | फिर हमनें दूसरे ब्लोगों पर नज़र दौडाई और इस दौरान हमारी नज़र पडी पंगेबाज जी के फीचर्ड ब्लॉग कबीर रहीम के दोहों का नया पाठ | अब कबीर रहीम का नाम हो और हम न पढ़ें ऐसा तभी होता है जब हमें ऐसी किसी पोस्ट का पता न चले | बस हम उनकी पोस्ट पढ़ने लगे और हमारा खून गर्माते गर्माते उबलने लगा और लैपटॉप के कीबोर्ड पर उंगलियाँ अपने-आप चलने लगीं …तो बताईए इसमें मेरी क्या गलती ? इतने में हमारी कहानी का ब्लॉग फीचर्ड हो गया | ये फीचर्ड ब्लॉग भी क्या शै है , अगर कोइ रचना फीचर्ड हो जाए तो हमें लगता है हमारी बेटी को किसी नें महारानी बना दिया है और हमें राजमाता का मुकुट पहना दिया है | यह बात महिला ब्लोगर्स पर लागू होती होती है | पुरुष तो अपनी रचना को राजा और और स्वयम को राजपिता समझते होंगे |तब ऐसा लगता है हम दनियाँ के सबसे बड़े निशानेबाज़ हैं देखा हमने तीर मारा और सही निशाने पर लगा | अर्जुन जैसा धनुर्धर भी हमारी नज़रों में छोटा हो जाता है |
ब्लॉग फीचर्ड हो तो भले ही कोइ माने या न माने लेकिन घमंड तो मन में समा ही जाता है और फिर बाकी सब रचनाएं फीकी लगाने लगती हैं | हमनें लिखा और ब्लॉग फीचर्ड नहीं हुआ तो अपनी ही रचना के साथ सौतेली माँ सा व्यवहार होता है भले ही उसमें कितनी ही काम की बातें क्यों न हों | ब्लॉग फीचर्ड होने पर कैसा अनुभव होता है ये तो आप सबने हमसे कहीं ज्यादा महसूस किया है , सो यहाँ भाषण झाड़ने की जरूरत नहीं , सीधा मतलब की बात करते हैं | हाँ तो हम बात कर रहे थे हमारी कहानी चुभन की जिसका अंतिम भाग फीचर्ड ब्लॉग हुआ और कबीर रहीम जी के दोहों को कचरा होते देख हम अपने आप को रोक न पाए और एक पोस्ट लिख मारी ….कबीर रहीम की रचनाओं के साथ पंगा…….आखिर क्यों ? देखते ही देखते वो ब्लॉग भी फीचर्ड हो गया लेकिन हमारे पहले वाले फीचर्ड ब्लॉग ( चुभन भाग ६ ) को हटा कर | अब आप ही बताएं इसमें हमारी कहानी की क्या गलती जो उसे इतनी बड़ी सजा मिली | हमें तो ऐसा अनुभव हुआ जैसे हमसे हमारा ताज छीन लिया है किसी नें | बस तब से हम व्यथित हैं और तभी हम ये सब लिखना चाहते थे लेकिन एक तो समय नें इजाजत नहीं दी और दूसरा हमारे बेटे नें | कसम से रात भर हम सो नहीं पाए | भला आँखों में नींद आती भी तो कैसे ? हमारी कहानी लिखने की पूरी की पूरी मेहनत पर पानी जो फिर चुका था | आत भर हमें अपनी प्यारी रचना की सिसकियाँ सुनाई देती रहीं और हम खाली तस्सली भी नहीं दे सकते थे |
यहाँ मुझे अजीब सा लगा शायद कहीं संतुष्ट भी हूँ | ठहरिये मुझे पागलखाने भेजने का प्रबंध करने से पहले मेरी पूरी बात सुन लीजिए |
हाँ , इसी कहानी की श्रंखला में एक जगह मनीषा जी की टिप्पणी आई …..

manisha के द्वारा July 5, 2010
सीमा जी हो गई न वही बात आज कल के लडके लडकी में बस यही चीज चाहते है इन्हें एक लडकी में सिर्फ वासना नजर आती है और यह आपकी कहानी या कलप्ना नही बक्लि 70 फीसदी लडकियों की सच्चाई है हम लडकियां किसी के आगे भी बिछ जाती है बिना सोचें की आगे क्या होगा ? गलती हमारी है अगर हम न चाहे तो इन लडको की अक्ल ठिकाने आ जाएं मगर हम खुद न जानें क्यों ऐसा होने देते है .
.इस कहानी में आगे चाहे कुछ भी हो लेकिन जो इस क्रम में हुआ उसे पढकर आपके आलेख की कसम हम किसी से मुहब्बत की गलती न करेंगे
|

और हमारा जवाब था …
seema के द्वारा July 5, 2010
मनीषा जी आपकी प्रतिक्रया पढ़कर तो खून उबलने लगता है | अगर लडकी ही इतनी कमजोर न हो तो शायद हमारे समाज में बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं काफी हद तक ख़त्म किया जा सकता है | अब आपने इतनी बड़ी बात कह दी वो भी हमारी कहानी की कसम खाकर तो हम कहेंगे भले ही हमारी कहानी मिट जाए पर आप मुहब्बत न करने की गलती मत कीजिए | एक साहित्यकार साहित्य के माध्यम से वही दिखाने का प्रयास करता है जो नज़रों से ओझल होता है या फिर वो सच्चाई सामने लाने का प्रयास होता है जिसे समाज से छुपाने का प्रयास किया जाता है | उसका एक दूसरा पहलू भी होता है तो मई चाहूंगी की आप तस्वीर के दूसरे रुख को देखें | मई आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ लेकिन अगर ऐसी कहानी पढ़कर किसी के भी मन में नकारात्मक विचार पनपने लगें तो हमें भी अपनी कहानी की कसम आगे से लिखना छोड़ देंगे |

अब लगता है सच में हमारी कहानी ख़त्म हो गयी है लेकिन ……….उनके मन में प्यार जरूर बसेगा |

एक प्रश्न जागरण वालों से पूछना चाहूंगी कि क्या ऐसा कोइ प्रावधान है कि एक दिन में कोइ दो ब्लॉग फीचर्ड नहीं हो सकते ? अगर ऐसा है तो क्रप्या नियम क़ानून क्या हैं इस पर जानकारी प्रेषित कर दीजिए ताकि आगे से हमें ध्यान रहे |
और जागरण वासियों आप भी सावधान हो जाईये क्योंकि आपनें गलती से एक दिन में दो तीन अच्छी से अच्छी पोस्ट लगा दी तो सम्मान ( फीचर्ड होने का ) केवल एक ही क मिलेगा |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh