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ओणम की काव्यात्मक कहानी

मेरी आवाज़
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नमस्कार बच्चो,
कैसे हैं आप सब लोग? आज मैं फिर से आई हूँ, आप सबके सम्मुख एक नई कहानी लेकर।
इस बार मैं आपको ले चलती हूँ केरल। इन दिनों करेल में बहुत चहल-पहल है। सभी लोग खुश हैं। जानते हैं क्यों? क्योंकि वहाँ पर इन दिनों ओणम
का त्योहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार पूरे १० दिन चलता है। लोग फूलों से सजावट करते हैं और तरह-तरह के पकवान बनाते हैं,
जैसे- पायसम, सांभर, पचरी, तोरन आदि। इन सारे व्यंजनों को केरल में सदया बोलते हैं। चलो मै आपको वो कहानी सुनाती हूँ,
जिसके लिए यह त्योहार बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।

ओणम

आओ बच्चो मिलकर हम
मनाएँ ओणम का उत्सव
इक राजा की है कहानी
था बड़ा ही वो महादानी
जाति से तो था वह दानव
पर था उसका सच्चा मन
महाबलि था उसका नाम
करता था वह अच्छे काम
इक बार सौ यज्ञ रचाए
ताकि वह स्वर्ग को पाए
हो गए जब यज्ञ निन्यावन
खुश था इससे उसका मन
पर देवों के उड़ गये होश
महाबलि में आएगा जोश
करेगा पूरे जब सौ यज्ञ
पाएगा वह स्वर्ग विजय
श्री विष्णु से करे पुकार
धारो अब ऐसा अवतार
ताकि यज्ञ न हो पूरा
रहे बलि का सपना अधूरा
श्री विष्णु ने सुनी पुकार
धार लिया वामन अवतार
चले गये वो बलि के पास
बनाया अपना मुख उदास
देख के सुन्दर वामन रूप
दंग रह गया था बलि भूप
बोला मुझसे माँगों तुम
जो मांगोगे देंगे हम
वामन ने ले लिया वचन
ताकि न बदले वह मन
दे दो धरती तीन कदम
इससे खुश हो जायेंगे हम
कहा बलि ने अपने कदम
जहाँ से चाहो नापो तुम
बनाया प्रभु ने रूप विशाल
नाप लिए नभ और पाताल
कहाँ पे रखूँ तीसरा कदम
दो जगह जो हो तुममें दम
लेट गया बलि धरती पर
रखो कदम मेरे सर पर
श्री वामन ने रखा कदम
निकला महाबलि का दम
दे दी उसने अपनी जान
पर नहीं तोड़ा वचन का मान
चला गया वो लोक पाताल
राज्य में पड़ गया अकाल
लोगों का था प्रिय राजा
दुखी थी इससे सारी प्रजा
फिर विष्णु नें सूनी पुकार
आया उनको नेक विचार
खुश होगी सारी प्रजा
दिखेगा जो प्रिय राजा
राजा फिर से वापिस आया
साथ में वो खुशहाली लाया
बोआई का मौसम आया
सब नें मिल त्योहार मनाया
करते प्रिय राजा को स्मरण
तभी मनाते हैं ओणम

ओणम उत्सव की आप सबको हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं |
–सीमा सचदेव

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