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गणेश उत्सव पर बच्चों के लिए दो कविताएँ
1.प्रार्थना
जय गणपति बाबा गजानन्द
तुझसे ही जीवन में आनन्द
प्रणाम तुम्हें हे मोदक प्रिय
तेरे नाम से मिल जाती है विजय
सर्व-प्रथम तेरा पूजन
हम करते तेरा अभिनन्दन
चरणों में फूल चढाएँ हम
कर जोरि के शीश झुकाएँ हम
शक्ति दो हम न घबराएँ
हर घर में खुशहाली आए
अगले वर्ष जल्दी आना
हर मन में खुशियाँ भर जाना
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2.पर्यावरण का रखो ध्यान
आओ बच्चो मिलकर आओ
गणपति जी को शीश झुकाओ
गणेश चौथ की सुन लो बात
मिलेगी लड्डू की सौगात
आए जब यह दिवस पावन
शिव-गौरी हो अतिप्रसन्न
जब गौरी माँ मायके जाए
गणपति माँ को लेकर आए
इसे देख के खुश हो शिवशँकर
प्यारा सुत उनका लम्बोदर
होता गणपति का जन्मदिन
हर्षित करते है सबका मन
जिस पर गर्वित हो माता-पिता
जिसने सबका ही मन जीता
वह गणपति सबका प्यारा है
सारी दुनिया से न्यारा है
आओ मिल-जुल के करें पूजन
होगा अपना भी मन पावन
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गणपति पूजा सबका अरमान
पर पर्यावरण का रखो ध्यान
गणपति विसर्जन अति सुखद
इस भाव के लिए न कोई शब्द
पर रँग जब पानी में मिलते
पानी को गन्दला ही करते
तेज रँग कैमीकल वाले
जब इसको पानी में डाले
फैलाएँ यह जल प्रदूषण
खतरे में पड़ जाए पर्यावरण
वही जल पशु-पक्षी पीते
हम भी तो जल पर ही जीते
कितने जल-जन्तु मर जाएँ
जल में महामारी फैलाएँ
हो जाए कितना ही नुकसान
खतरे में हो सबकी जान
पर जो समझदारी अपनाएँ
हम अपने कुछ नियम बनाएँ
रँगवाली मूरत न लाओ
न इसे पानी में बहाओ
लाएँ जो पत्थर की मूरत
नहीं खराब हो किसी भी सूरत
न तो गन्दला करे यह पानी
न खतरे में हो जिन्दगानी
नहीं तो रख सकते हो घर
काम आएगी अगले वर्ष
शुद्ध रहेगा अपना जल
होगा सबका ही मन निर्मल
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बच्चो तुमने समझी बात
पर्यावरण उत्तम सौगात
घर में तुम सबको समझाना
रँगवाली नहीं मूरत लाना
पत्थर की मूरत ही लाओ
खुशी से गणपति दिवस मनाओ
–सीमा सचदेव
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