Menu
blogid : 2242 postid : 137

शेर और कुत्ता – बाल कथाकाव्य

मेरी आवाज़
मेरी आवाज़
  • 107 Posts
  • 718 Comments

नमस्कार बच्चो ,
आज मैं फ़िर से आई हूं आपके लिए एक शेर और कुत्ते की कहानी लेकर । बताना आपको कैसी लगी..…

ओ बच्चो सुनो कहानी
न बादल न इसमें पानी

इक कुत्ता जंगल में रहता
और स्वयं को राजा कहता

मैं सबकी रक्षा करता हूँ
और न किसी से मैं डरता हूँ

बिन मेरे जंगल है अधूरा
असुरक्षित पूरा का पूरा

मुझ पर पूरा बोझ पड़ा है
मेरे कारण हर कोई खड़ा है

मै न रहूँ , न रहेगा जंगल
मुझसे ही जंगल में मंगल

सारे उसकी बातें सुनते
पर सुन कर भी चुप ही रहते

समझे स्वयं को सबसे स्याना
था अन्धों में राजा काना
————————————-

पर यह अहम भी कब तक रहता
कब तक कोई यह बातें सुनता

इक दिन टूट गया अहँकार
जंगल में आ गई सरकार

बना शेर जंगल का राजा
खाता-पीता मोटा-ताजा

शेर ने कुत्ते को बुलवाया
और प्यार से यह समझाया

छोड़ दो तुम झूठा अहँकार
और आ जाओ मेरे द्वार

बिन तेरे नहीं जंगल सूना
यह तो फलेगा फिर भी दूना

पर कुत्ते को समझ न आई
उसने अपनी दम हिलाई
—————————————-

मैं यहाँ पहले से ही रहता
हर कोई मुझको राजा कहता

कौन हो तुम यहाँ नए नवेले
अच्छा यही, वापिस राह ले ले
—————————————-

ले लिया उसने शेर से पंगा
मच गया अब जंगल में दंगा

भागे यहाँ-वहाँ बौखलाया
खुद को भी कुछ समझ न आया

जो अन्धो में राजा काना
समझता था बस खुद को स्याना

अब तो वही बना नादान
शेर के हाथ में उसकी जान
—————————————

छुप कर गया शेर के पास
बोला मैं जानवर हूँ खास

न बदनाम करो अब मुझको
राजा मैं मानूँगा तुझको

बख़्श दो मुझको मेरी जान
नहीं करूँगा मैं अभिमान
—————————————-

शेर ने कुत्ते को माफ कर दिया
और अपना मन साफ कर दिया

तोड़ा कुत्ते का अभिमान
और बख़्श दी उसको जान

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh