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भैया रावण

मेरी आवाज़
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देता है इतिहास गवाही
रावण नें कर दी तबाही
नष्ट हुई सोने की लंका
बजा राम के नाम का डंका

कुबुद्धि नें रावण भरमाया
सीता माता को हर लाया
प्रभु श्री राम का किया विरोध
सुनकर भरता मन में क्रोध

सारा खानदान मरवाया
राम शरण फिर भी न आया
छोड़ा नहीं उसनें अहंकार
मर गया पर न मानी हार

सबसे बड़ा पापी कहलाया
लंका में कोहराम मचाया
पुतले उसके जलते अब तक
जलेंगे है दुनिया यह जब तक

कोई भी यह न सोचे पर
रावण सा कोई न नर
सच्चा उस सा भाई न कोई
बहन जो आकर सम्मुख रोई

देख सका न बहन का रोना
पडा भले ही सबकुछ खोना
जानता था राम स्वयम भगवान्
पर जो बहन का हुआ अपमान

उसको कभी न सहन करेंगे
जाकर ईश्वर से भी लड़ेंगे
दुखी है जो बहना का मन
तो क्या करना ये जीवन

लेंगे हम पूरा प्रतिशोध
करेंगे राम लखन का विरोध
निश्चय ही हम युद्ध में मरेंगे
पर कलंक न कभी सहेंगे

रावण है जिस बहन का भाई
उसनें अपनी नाक कटाई
इस कलंक संग कभी न जिएंगे
चाहे सबकुछ ख़त्म करेंगे

नहीं समझा कुछ बहन से बढ़कर
लड़ा वो राम लखन संग जाकर
अपना उसनें सब मिटाया
ज्ञानी हो पापी कहलवाया

पर था सच्चा बहन का भाई
जानबूझकर मुंह की खाई
होते जो रावण से भाई
रोती न कोई बिटिया न माई

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