Menu
blogid : 2242 postid : 194

“होली-बालकथा काव्य -१. श्री राधा-कृष्ण की होली-holi contest “

मेरी आवाज़
मेरी आवाज़
  • 107 Posts
  • 718 Comments

नमस्कार प्यारे बच्चो ,
आजकल आप सब तरफ रंगों की बौछार देख रहे होंगे न
पिचकारी और रंगों से बाजारों की शोभा देखते की बनती है
आप भी होली की मस्ती में झूमने को बेताब हैं न , खूब तैयारी
कर रहे होंगे हमारी आप सबको होली की ढेरों शुभ-कामनाएं
क्या आपको पता है होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है ?
इसके साथ भी बहुत सी कथाएं जुडी हैं कुछ बातें मै आपको बताऊंगी
तो यह है होली के साथ जुडी एक कथा- “श्री राधा-कृष्ण की होली


होली का इक भेद बताऊं
एक बार छोटे से कान्हा
माँ को देने लगे उलाहना
क्यों कुदरत ने भेद है पाला
राधा गोरी और मै काला
गोरे रंग पे उसे गुमान
करती है बहुत अभिमान
सुन मुस्काई जस्मति मैया
सुत की लेने लगी बलैया
हँसी हँसी में माँ यूँ बोली
राधा भी तेरी हमजोली
भ्रम कोई न मन में पालो
जाओ राधा को रंग डालो
कान्हा को मिल गया बहाना
ग्वालों संग पहुंचे बरसाना
सखियों संग राधा को पाया

गुलाल जा चुपके से लगाया
सखियों ने भी लट्ठ चलाया
इक दूजे को रंग लगाया
खेल खेल में खेली होली
बन गए वो सारे हमजोली
तब से यह हर वर्ष मनाएं
जब फागुन की पूनम आए
 
****************************

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh