मां जलन है मुझे तुमसे अपनी ही मां से तुम्हारी ममतामई आंखों से जो मुझे देखने भर से लडने की हिम्मत देती हैं । जलन है मुझे तुम्हारी उंगलियो के स्पर्श से जो बालों को छूते ही नई दुनिया का अहसास कराती हैं जलन है मुझे तुम्हारी गोदि से जिसमें सर रखते ही हर गम भूल जाती हूं जलन है मुझे तुम्हारी सहनशीलता से जो मुझे कितनी बार बेबाक बना देती है जलन है मुझे तुम्हारी विशाल ह्रदयता से जिसमें न जाने कितने गम दफ़न हैं जलन है मुझे तुम्हारे संतोष पर जो तुने अपनी हर चाहत मार दी जलन है मुझे तुम्हारे उस त्याग पर जो तुमने मेरी खातिर न जाने कितनी बार किया जलन है मुझे तुम्हारी उस ममता पर जो मेरी थोडी सी पीडा को भी पहचान जाती है जलन है मुझे तुम्हारी उस समझ पर जो मेरी आवाज में छुपे दर्द को जानती है हां मां जलती हूं मै तुमसे……. अपनी ही मां से………… गुस्सा भी हूं तुमसे ……. मुझे तुमने सब सिखाया फ़िर भी अपने सा न बनाया क्यों नहीं समझ पाती मै तुम्हारी ही भान्ति तुम्हारी ममतामई आंखों के पीछे का दर्द छुपा लेती हो तुम अपने सारे गम अपनी ममता के पर्दे से जो मेरी नजर से दूर है बहुत दूर क्यों नहीं मै तुम्हें अपनी गोदि में लेटा प्यार भरी उंगलियां चला पाती तुम्हारे बालों में ताकि तुम भी अनुभव कर सको उस आनन्द को जो मै अनुभव करती हूं तुम्हारी गोदि में सर रख कर क्यों नही मै त्याग कर पाती तुम्हारी खातिर क्यों नहीं मुझमें ऐसी सहनशीलता कि तुम्हारी हर बात चुपचाप सुन जाऊं मुझे क्यों न इतना समझदार बनाया मां कि तुम्हारी ही भांति मै भी पहचान सकूं तेरी आवाज के पीछे छुपे दर्द को क्यों मां तुम मेरी हर जिद्द के आगे हार कर भी जीत जाती हो और मै अपनी हर जिद्द मनवा कर भी हार जाती हूं क्यों मां , क्यों……..?????????***********************************************
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments