- 107 Posts
- 718 Comments
. माँ की परिभाषा
माँ जो ममता
की मूर्ति है
माँ जो सन्स्कारो
की पूर्ति है
माँ जो धरती
का स्वर्ग है
माँ जो साक्षात
ईश्वर है
माँ जो मीठी
मिठाई है
माँ हर दर्द
की दवाई है
माँ बुराई के लिए
जहर है
माँ जिसका स्पर्श ही
अमृत है
माँ जिसके हाथो मे
शक्ति है
माँ जो प्रेम
की भक्ति है
माँ जो खुली
किताब है
माँ जिसके पास हर
जवाब है
माँ जो सागर
से भी गहरी
है
माँ सूर की
साहित्य लहरी है
माँ राम चरित
मानस है
माँ जो सूखे
मे पावस है
माँ जो वैदो
की वाणी है
माँ गन्गा ,यमुना,सरस्वती
की त्रिवेणी है
माँ लक्ष्मी गौरी वाग्देवी
है
माँ जो स्वयम
सेवी है
माँ ही सभ्याचार
है
माँ ही उच्च
विचार है
माँ ब्रह्मा , विष्णु ,महेश
है
माँ के बाद
कुछ न शेष
है
माँ धरती ,माँ आकाश
है
माँ फैला हुआ
प्रकाश है
माँ सत्य ,शिव ,सुन्दर
है
माँ ही मन
मन्दिर है
माँ श्रद्धा है ,माँ
विश्वास है
माँ ही एकमात्र
आस है
माँ ही सबसे
बडी आशा है
माँ की नही
कोई परिभाषा है
माँ तुम्हारी नही कोई
परिभाषा है
***********************************
Read Comments