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सोच रही हूँ मोदी तुम , जिस दिन पी.एम् . बन जाओगे…….?

मेरी आवाज़
मेरी आवाज़
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तुम अचानक भारताकाश पर
चमकते नक्षत्र से दिखे |
हर कोई बेताब हुआ
भावी पी.एम् . दर्शनार्थ
ऐसा सपना सजा लिया
मानो…………………
कोई सदियों से दबा
खजाना पा लिया |
देखते ही देखते तुम
हर दिल पे छा गए
तुम्हारी एक झलक पाने को
बच्चे , बूढ़े , युवा
सब के सब ललचा गए |
तुम्हारी वाणी लोहे की
लकीर बनाने लगी
जनता तुम्हारा हर शब्द
ध्यान से सुनाने लगी
लगा था मंगाई से
राहत मिल जाएगी
तुम जैसे नाविक से
भारत नैया पार लग जाएगी
हर घर में चूल्हा जलेगा
कोई भी भूखे पेट न रहेगा
बेरोजगारी , भुखमरी ,बेकारी
भारत से मिट जाएगी
निराशा के युग में भी कोई
नई क्रान्ति आएगी
खुशहाली का जीवन होगा
हर्षित सबका मन होगा
सुनने को तेरी बातें
हर जन में लालच जागा
एक झलक पाने को तेरी
हर कोई तेरी और भागा
…………………………..
…………………………..
पर तुम भी तो जान गए
नियत सबकी पहचान गए
देखा लोगों का आकर्षण
करने लगे इक्कठा धन
कीमत रख दी पाँच रुपैया
क्या बच्चा , बूढा क्या भैया
क्या करे मजदूर बेचारा
फिरे जो दिन भर मारा मारा
इक –इक पैसा जोड़ के रखता
भूखे पेट काम वो करता
कैसे पाँच रुपए जुटाए ?
कैसे तेरी सभा में आए ?
कितनी तेरी वाणी अनमोल
लगाने लगे उसी का मोल
सोच रही हूँ मोदी तुम
जिस दिन पी.एम् . बन जाओगे
एक झलक दिखलाने का तुम
लाखों अरबों पाओगे

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